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Thursday, December 9, 2010

आधुनिक संधर्भो मै क्या पत्रकारिता अपने लक्ष्य को पा रही है?

आधुनिक संधर्भो में पत्रकारिता अपने लक्ष्यों से भटक गई है! तथा वह इस बात को नकारते हुए की उसका लक्ष्य क्या , एक अलग ही दिशा जा रही है! पत्रकारिता को समाज का रक्षक,प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है, तथा उसकी तुलना एक सेनिक से भी की जा सकती है!आज से कुछ वर्षो पहले या फिर कहे कि आज़ादी से भी पहले पत्रकार ऐसे व्यक्ति होते थे ,जो समाज कि लिए अपना जीवन न्योछावर कर देते थे! समाज कि बुराईयों को सामने लाकर उसके निवारण के लिए जी जान एक कर देते थे! लोगो का भी उनमे बहुत विशवास था,पत्रकारिता ने देश की आज़ादी मै भी विशेष भूमिका निभाई थी, क्योंकि अगर इसका सहयोग न होता तो शायद आज़ादी पाने मै अधिक समय लगता और कठिनाई होती! आज़ादी के बाद पत्रकारिता और विकसित हुए पर विकसित होने के साथ ही इसमें बदलाव आने शुरू हो गए!
 
पत्रकारिता कभी कुछ अखबारों,रेडियो तथा दूरदर्शन के सहारे ही लोगो तक समाचार पहुँचाने का जरिया था तथा फिर भी पत्रकार असली मुद्दा दुनिया के सामने लाते थे, फिर प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया दोनों मै बहुत विकास हुआ अब अखबारों की भरमार है,तो वही रेडियो चैनल भी खूब अ गए है,अब केवल दूरदर्शन ही नहीं उसके अलावा न्यूज़ चैनलों की कतार लग गई है! अब मीडिया कि खबरों पर ऐसी पकड़ बन गयी है, कि कोई खबर बच नहीं सकती,लेकिन अब हम यह कह सकते है कि हमारा मीडिया विकसित हुआ है,पर उसके साथ इसमें बदलाव आए है! यह बहुत गंभीर मसला है,अब एक खबर को दिखाने कि लिए सभी अखबारों,रेडियो,न्यूज़ चैनलों मै होड़ सी लगी हुई है! अब मुद्दा यह नहीं होता कि खबर दिखानी है,अब मुद्दा यह है कि खबर सबसे पहले दिखानी है तथा खबर को बढ़िया तरीके से दिखने कि होड़ मै एक ही खबर को न जाने कितनी ही बार दिखाया जाता है! यह भी भुला दिया जाता है कि यह खबर इतनी महत्वपूर्ण है भी या नहीं बस खुद को बहुत अच्छा साबित करने मै लगे रहते है, अब भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वाली पत्रकारिता मै भी भ्रष्टाचार ने पैर पसार लिए है तथा सब को अपनी और जकड लिया है! भ्रष्टाचार का ताज़ा उदाहरण राष्टीयमंडल खेलो मै दूरदर्शन और SIS को ही विभिन प्रतिसपर्धाओ के प्रसारण का अधिकार मिला था और अनुबंध कि तहत इसमें SIS को २४६ करोड़ देना तह हुआ था! इसमें इसके ऊपर अव्यापक और पक्षपात तरीके से SIS का चुनाव करने कि आरोप लगे है तथा SIS पर २९ करोड़ के कर चोरी के प्रयास के भी आरोप लगे है! 
अब यह कहना उचित होगा कि अधुनिक संधर्भो मै पत्रकारिता ने अपने मायने ही बदल डाले है, वह अब इस तरह कि बन कर रह गयी है!

आज के दोर जो कि प्रतिस्पर्धाओ का दोर है,उसमे हर कोई बस टिके रहना चाहता है तथा केवल अपनी ही परवाह करता है! उसे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि समाज की भलाई किस्मे है! समाज का सोचता कोन है, उसे तो केवल अपने व्यवसाय से मतलब है जहा से वह अत्यधिक धन कम सके! एक पत्रकार अपने मूल कर्तव्यो को छोड़ कर ऐसे कार्यो पर अत्यधिक जोर देता है जिससे उसकी तरक्की हो तथा वह अत्यधिक धन कम सके! आज-कल बस हर किसी को अपनी टी.आर.पी बढाने की सोच लगी रहती है, टीवी चेन्नेल्स खबर कि अहमियत को समझकर नहीं दिखाते बल्कि उससे टी.आर.पी कितनी बढ़ेगी यह सोच कर दिखाते है, जिससे होता क्या है कि जो खबर दिखानी चाहिए वह तो आती नहीं तथा जो नहीं आनी चाहिए वह बार-बार दिखाई जाती है! छोटी सी खबर को इतना बड़ा बनाकर दिखाया जाता है मानो यही सबसे मुख्य खबर है! आज-कल न्यूज़ चेन्नेल्स कामेडी तथा  मनोरंजन  के चेंनेल बन कर रह गए है तथा इन चेंनेलो मैं खबर से ज्यादा विज्ञापन होते है,तो यह कहना गलत नहीं होगा कि यह विज्ञापन के लिए न्यू दिखाते है न कि न्यूज़ के लिए विज्ञापन इसमें धन लेकर खबर देने को पैड न्यूज़ का नाम दिया गया है!पैड न्यूज़ कुछ ही पत्रकारों की हरकत है तथा इसका विरोथ भी खुद ही पत्रकारों द्वारा करना एक महत्वपूर्ण पहल है!पत्रकार भी इसको नहीं चाहते पर मीडिया संस्थानों ने इस कारोबार को बढावा दिया है!  आज-कल हम देखते है,कि सभी न्यूज़ चेन्नेल्स पर देश-विदेश मै क्या चल रहा है , हमारे देश ने किस देश के साथ क्या समझोते किये है तथा देश कि अर्थव्यवस्था किस तरह चल रही है! इस तरह कि खबर तो बहुत कम देखने को मिलती है तथा इसके अलावा ग्रह-दशा कि खबरे, आपके भविष्वाणी कि खबरे तथा फ़िल्मी दुनिया तथा सीरियल कि खबरे ज्यादा होती है!
अंत मै यही कहना चाहूँगा कि यह जो भी प्रतिक्रिया है,वह सम्पूर्ण पत्रकारिता कि नहीं है या हर पत्रकार कि नहीं है, यह तो कुछ लोगो के बारे मैं है जो इसे इस दशा मै पहुंचाए हुए है! ऐसा नहीं है कि आज भी ईमानदार और बुद्धिजीवी पत्रकारों कि कमी है,वह अज भी उपस्थित है तथा जिनके सहारे यह पत्रकारिता टिकी हुए है, वरना इसकी कल्पना भी नहीं कि जा सकती थी, कि पत्रकारिता क्या बन कर रह जाएगी!
                                                                                                                                                                                      लेखक :- राहुल 
                                                                                                                                                           ( मीडिया मै रूचि रखने वाला शेयर बाज़ार  मै कार्यत )

2 comments:

  1. ब्‍लॉग्‍स की दुनिया में मैं आपका खैरकदम करता हूं, जो पहले आ गए उनको भी सलाम और जो मेरी तरह देर कर गए उनका भी देर से लेकिन दुरूस्‍त स्‍वागत। मैंने बनाया है रफटफ स्‍टॉक, जहां कुछ काम का है कुछ नाम का पर सब मुफत का और सब लुत्‍फ का, यहां आपको तकनीक की तमाशा भी मिलेगा और अदब की गहराई भी। आइए, देखिए और यह छोटी सी कोशिश अच्‍छी लगे तो आते भी रहिएगा


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  2. रोहित जी आप ने जो कोशिश कि है,वह बहुत खूब है. वाकेही मै इसमें कुछ कम का है कुछ नाम का पर सब मुफ्त का और सब लुफ्त का है!

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